Operation Sindoor: कौन हैं कर्नल सोफिया और विंग कमांडर व्योमिका सिंह, जिन्होंने दुनिया को दी 'ऑपरेशन सिंदूर' की जानकारी?

Operation Sindoor: भारत ने पहलगाम हमले का बदला ले लिया है. भारतीय वायुसेना और थलसेना ने ज्वाइंट ऑपरेशन चलाकर पाकिस्तान में जैश और लश्कर के कई लॉन्च पैड को नेस्तनाबूद कर दिया.

Published: May 7, 2025 2:19 PM IST

By Puja Mehrotra

Colonel Sofiya Qureshi and Vyomika Singh
Colonel Sofiya Qureshi (L) and wing commander vyomika singh. (Photo: ANI )

Operation Sindoor Details: कश्मीर के पहलगाम की बेसरन वैली में जब आतंकियों ने महिलाओं का सुहाग उजाड़ा तब उन कायरों ने उनसे कहा था…जाओ मोदी से कह देना…उस समय उन आतंकियों ने ये नहीं सोचा होगा कि इसका जवाब इतना करारा आने वाला है…सेना ने 15 दिन की तैयारी के बाद 7 मई को जब आतंकियों के ठिकानों को नेस्तनाबूद किया तो इस ऑपरेशन का नाम दिया ‘ऑपरेशन सिंदूर’…कहानी यहां खत्म नहीं हुई. भारतीय सेना ने जब इस विजय कहानी की मीडिया ब्रीफिंग की तब भी उसके लिए महिलाओं को ही चुना..एक हैं विंग कमांडर व्योमिका सिंह और दूसरी कर्नल सोफिया कुरैशी.

भारत की बहादुर बेटियां आज सिर्फ सीमाओं की रखवाली नहीं कर रहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी देश की आवाज बन रही हैं. ऑपरेशन सिंदूर के तहत जब दुनिया भर के मीडिया को जानकारी देने का समय आया, तो भारतीय सेना की कर्नल सोफिया कुरैशी और एयरफोर्स की विंग कमांडर व्योमिका सिंह को इस जिम्मेदारी के लिए चुना गया. उनके साथ विदेश सचिव विक्रम मिसरी भी इस अहम प्रेस ब्रीफिंग में शामिल हुए. यह पल भारत की रक्षा सेवाओं में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी का प्रतीक बन गया.

कौन हैं कर्नल सोफिया कुरैशी?

कर्नल सोफिया कुरैशी भारतीय सेना में एक ऐसा नाम हैं, जो जज्बे, मेहनत और लीडरशिप की मिसाल बन चुकी हैं. वे उस समय चर्चा में आई थीं जब उन्हें एक्सरसाइज फोर्स 18 के तहत 18 देशों की मल्टीनेशनल आर्मी ड्रिल में भारत की तरफ से कमान संभालने का मौका मिला. उस समय वो अकेली महिला थीं जो किसी भी देश की आर्मी टुकड़ी की कमांड कर रही थीं. उन्होंने 40 सैनिकों की भारतीय टीम का नेतृत्व किया. सोफिया ने 17 साल की उम्र में ही भारतीय सेना ज्वाइन कर लिया था.

कर्नल सोफिया का सफर

गुजरात की रहने वाली सोफिया ने बायोकेमिस्ट्री में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है, जिससे उनकी पढ़ाई और सेना के प्रशिक्षण का बेहतरीन तालमेल दिखता है. वो सिग्नल कोर से हैं, जो सेना के कम्युनिकेशन और सूचना प्रणाली की जिम्मेदारी संभालती है. साल 2006 में वह यूएन पीसकीपिंग मिशन के तहत कांगो में तैनात रहीं और 6 वर्षों से ज्यादा समय से शांति मिशनों में अहम भूमिका निभा रही हैं. उन्हें पीसकीपिंग ट्रेनिंग ग्रुप से चुना गया था, जो अंतरराष्ट्रीय मिशनों के लिए सबसे बेहतर ट्रेनिंग देते हैं. उनका रिश्ता सेना से पुराना है. उनके दादा सेना में थे और उनके पति मैकेनाइज़्ड इन्फेंट्री में अधिकारी हैं.

मालूम हो कि 22 अप्रैल को पहलगाम में हमला करने वाले आतंकियों ने देश की 26 महिलाओं का सुहाग उजाड़ा था. विवाहित महिलाओं के आगे उनके पति को उनका धर्म पूछ कर मार दिया गया था. इस हमले में जिन्होंने अपना सुहाग खोया था, उन्होंने सिंदूर की कीमत मांगी थी.. अब बात करते हैं विंग कमांडर व्योमिका सिंह की तो वो भारतीय वायुसेना में हेलीकॉप्टर पायलट हैं. उन्हें 2500 से अधिक घंटे तक फ्लाई करने का तजुर्बा है. वह चेतक से लेकर चीता हेलीकॉप्टर को ऐसे उड़ाती हैं जैसे कोई खिलौने वाला हेलीकॉप्टर उड़ाता है.

उन्होंने हाई एल्टीट्यूड से लेकर जम्मू कश्मीर और नॉर्थ ईस्ट के रिमोट एरिया में भी उड़ान भर चुकी हैं. जैसा कि उनका नाम है व्योमिका, यानी आकाश की बेटी. व्योमिका ने बचपन में ही आकाश पर छा जाने का सपना देख लिया था. व्योमिका को सेना ने यूंही आज नहीं चुन लिया. 2020 में उन्होंने विपरीत परिस्थिति में अरुणाचल प्रदेश के रेस्क्यू ऑपरेशन में उड़ान भरी है… ऐसा माना जा रहा है कि आतंक के आकाओं को जवाब मिल गया होगा. भारत सरकार ने हर जवाब महिलाओं के हाथों देकर यह बता दिया है कि भारत क्या है और क्या कर सकता है.

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