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राजस्थान के इस मंदिर का बाल भी बांका नहीं कर पाया पाकिस्तान, 1965 और 1971 की जंग में यहां बरसाए थे बम

भारत-पाकिस्तान के बीच बनी तनावपूर्ण स्थिति के चलते देशभर में और खासकर सीमा रेखा के करीबी राज्यों में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है. तनावपूर्ण स्थिति के बीच राजस्थान राज्य सरकार के कर्मियों की छुट्टियां रद्द करने संबंधी निर्देश दिए गए. सीमा पर उत्पन्न हुई तनावपूर्ण परिस्थितियों के मद्देनजर, प्रदेशभर विशेषकर सीमावर्ती जिलों की सुरक्षा व्यवस्था के संबंध में निर्देश दिए.

By Farha Fatima | Updated: May 9, 2025 12:43 PM IST

जैसलमेर, बाड़मेर, श्रीगंगानगर और बीकानेर में चौबीस घंटे निगरानी

पाकिस्तान की ओर से जैसलमेर, बाड़मेर, श्रीगंगानगर और बीकानेर जैसे सीमावर्ती क्षेत्रों में ड्रोन की गतिविधियों और ब्लैकआउट के मद्देनज़र राजस्थान सरकार ने इन क्षेत्रों को 'स्पेशल वॉच जोन' घोषित किया है. पुलिस, बीएसएफ और प्रशासन को आपसी समन्वय से चौबीस घंटे निगरानी रखने के निर्देश दिए गए हैं.

1965 और 1971 की जंग के दौरान

संभावित आपात स्थिति को देखते हुए डिजास्टर मैनेजमेंट टीमें सतर्क पर हैं. सीमावर्ती जिलों के अस्पतालों और एंबुलेंस नेटवर्क हाई अलर्ट पर हैं. तनोट माता मंदिर भी राजस्थान के जैसलमेर में स्थित है. इस मंदिर के बारे में माना जाता है 1965 और 1971 की जंग के दौरान भी पाकिस्तान इसका कुछ नहीं बिगाड़ पाया था.

राजस्थान के जैसलमेर में स्थित तनोट माता का मंदिर

तनोट माता मंदिर ट्रस्ट की साइट पर दी जानकारी के अनुसार, 1965 के युद्ध के समय पाकिस्तान ने मंदिर और आसपास हजारों बम बरसाये थे. 450 गोले मंदीर परिसर में गिरे थे लेकिन मंदिर को खरोंच भी नहीं आयी.

1971 के युद्ध में टैंक व गाड़ियां नेस्तानाबूद

मंदिर ट्रस्ट की साइट पर दी जानकारी के अनुसार, 1971 के भारत-पाक युद्ध में पाकिस्तान के सैकड़ों टैंक व गाड़ियों को भारतीय फौजों ने नेस्तानाबूद किया था. जिससे पाकिस्तानी सेना उलटे पांव भाग ली थी.

कैसे बना मां तनोट का मंदिर

मंदिर ट्रस्ट की साइट पर दी जानकारी के अनुसार, युद्ध के बाद जवान गुमान सिंह जी को मां तनोट ने सपने में दर्शन दिए. सपने में ही मंदिर बनाने का आदेश और एक निश्चित स्थान पर खुदाई करने के लिए कहा गया था.

कब बना मंदिर

मंदिर ट्रस्ट की साइट पर दी जानकारी के अनुसार, राजा तन्नू राव ने 847 ईस्वी में नोटराय माता के मंदिर के मंदिर का निर्माण शुरू कराया था. उस दौरान खुदाई की तो जमीन में आवड़ माता की सात बहनों की लकड़ी की मूर्ति, तलवार, चिमटा, नगाड़ा, त्रिशूल जैसी चीजें निकलने की बात कही जाती है.

वही मूर्ति आज भी तनोट स्थित मंदिर में

खुदाई के स्थान के करीब उत्तर में लगभग 50-60 मीटर की दूरी पर छोटे मंदिर का निर्माण करवाया गया था, जो आज वर्तमान स्वरूप में है. 1965 में सीमा सुरक्षा बल (BSF) ने सीमा चौकी की स्थापना की. मंदिर का कार्यभार, प्रबंधन संचालन माता ट्रस्ट द्वारा किया जाता है.