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पोप फ्रांसिस का 88 साल की उम्र में किडनी की बीमारी से निधन हो गया. उनकी दुखद मौत के बाद वेटिकन में नए पोप के चुनाव की चर्चा शुरू हो गई है. हालांकि ये प्रक्रिया काफी लंबी है, जिसकी वजह से इसमें समय लग सकता है. पोप फ्रांसिस ने अपने कार्यकाल में ज्यादातर गैर-यूरोपीय कार्डिनल्स नियुक्त किए, जिससे उम्मीद है कि अगला पोप भी गैर-यूरोपीय और प्रगतिशील हो सकता है. लेकिन, सिस्टिन चैपल से सफेद धुआं निकलने तक कुछ भी पक्का नहीं होगा. तो आइए जानते हैं कैसे चुने जाते हैं पोप?
सोमवार को वेटिकन ने वीडियो संदेश में बताया कि रोमन कैथोलिक चर्च के पहले लैटिन अमेरिकी पोप का देहांत हो गया. अब सवाल उठ रहा है कि नया पोप कौन बनेगा और उसका चुनाव कैसे होगा. नए पोप का चुनाव वेटिकन सिटी के सिस्टीन चैपेल में गुप्त कॉन्क्लेव में होता है. 80 साल से कम उम्र के 115 कार्डिनल्स ही वोट डाल सकते हैं. किसी कार्डिनल को दो-तिहाई यानी 77 वोट मिलने पर ही वह पोप चुना जाता है. पोप का पद केवल पुरुष के लिए है, लेकिन उम्र की कोई सीमा नहीं है. मतदान तब तक चलता है, जब तक कोई कार्डिनल दो-तिहाई वोट हासिल नहीं कर लेता. यह प्रक्रिया कई दिन तक चल सकती है, क्योंकि पहले दिन नतीजा मिलना मुश्किल है.
चुनाव के लिए कार्डिनल्स को तीन समूहों में बांटा जाता है. स्क्रूटनियर्स वोट गिनते हैं, रिवाइजर्स दोबारा जांच करते हैं, और इन्फर्मी बीमार कार्डिनल्स से बैलट लेते हैं. यह सुनिश्चित करता है कि वोटिंग पारदर्शी और सटीक हो. हर कार्डिनल दिन में चार बार गुप्त मतदान करता है. स्क्रूटनियर्स बैलट गिनकर यह पक्का करते हैं कि सभी ने वोट डाला है. अगर कोई दो-तिहाई वोट नहीं पाता, तो प्रक्रिया अगले दिन दोहराई जाती है. वोटिंग के बाद बैलट पेपर्स को खास केमिकल के साथ जलाया जाता है. अगर चिमनी से काला धुआं निकले, तो मतलब चुनाव अभी पूरा नहीं हुआ. सफेद धुआं निकलने का मतलब है कि नया पोप चुन लिया गया है.
हर चरण में बैलट को जलाने से पहले स्क्रूटनियर्स नाम नोट करते हैं. एक स्क्रूटनियर नाम को कॉन्क्लेव में बोलता है, ताकि सभी सुन सकें. यह प्रक्रिया तब तक चलती है, जब तक नया पोप नहीं चुन लिया जाता. नया पोप चुनने के बाद वह अपने लिए एक नया नाम चुनता है. फिर वेटिकन से ‘नए पोप मिल गए’ की घोषणा होती है. इसके बाद पोप खास कपड़े पहनकर बैसिलिका की बालकनी से लोगों को आशीर्वाद देते हैं. यह चुनाव न सिर्फ 1.4 अरब कैथोलिकों के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए अहम है. नया पोप चर्च की दिशा तय करेगा और वैश्विक मुद्दों पर प्रभाव डालेगा. सिस्टीन चैपेल से सफेद धुआं दुनिया को नई उम्मीद देगा.
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