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पाकिस्तान में बहुत फेमस हैं ये 6 हिंदू मंदिर, जहां रोजाना होती है विधि-विधान से पूजा

Hindu Mandir in Pakistan: क्या आप जानते हैं कि पाकिस्तान में भी कई मंदिर हैं और आज भी वहां रोजाना जोर-शोर से पूजा-पाठ किया जाता है? ये मंदिर जितने खूबसूरत हैं उतना ही गहरा इनका इतिहास भी है.

By Renu Yadav | Updated: May 9, 2025 3:33 PM IST

पाकिस्तान में हिंदू मंदिर

भारत-पाकिस्तान बंटवारे से पहले पाकिस्तान में कई हिंदू मंदिर थे लेकिन बंटवारे के बाद कई मंदिरों को ध्वस्त कर दिया गया. वहीं कुछ मंदिर आज भी पाकिस्तान में मौजूद हैं और हिंदू धर्म के लोग यहां रोजाना पूजा-पाठ करते हैं.

हिंगलाज माता मंदिर

पाकिस्तान के लोकप्रिय हिंदू मंदिरों की बात करें तो सबसे पहला नाम हिंगलास माता मंदिर का आता है. जो कि बलूस्तिान में स्थित है और यह माता सती के 51 शक्तिपीठों में से एक है. हिंगलाज माता मं​दिर में भगवान शिव भीमलोचन भैरव स्वरूप में विराजमान है.

साध बेलो मंदिर

साध बेलो मंदिर पाकिस्तान के सिंध में सक्कर के पास सिंधु नदी के एक द्वीप पर स्थित है. यह भी पाकिस्तान का सबसे बड़ा और फेमस हिंदू मंदिर है. इस मंदिर में साधु-संतों और भक्तों के रुकने का पर्याप्त इंतजार है. इसके अलावा मंंदिर परिसर में 8 अन्य मंदिर भी मौजूद हैं.

राम मंदिर

आपको यह जानकर हैरानी होगी कि पाकिस्तान में भी एक राम मंदिर है जो कि इस्लामाबाद के पास सैयदपुर में स्थित है. इस मंदिर को साल 1580 में राजा मानसिंह ने बनवाया था और आज भी यह रहने वाले हिंदुओं के लिए यह मंदिर बहुत खास है.

पंचमुखी हनुमान मंदिर

पाकिस्तान के कराची में पंचमुखी हनुमान मंदिर है जो कि लगभग 1500 साल पुराना है. इस मंदिर में हनुमान जी के दर्शन करने के लिए भक्तों की भीड़ लगी रहती है.

कटासराज शिव मंदिर

पाकिस्तान के कटासराज नामक गांव है जहां शिव मंदिर मं​दिर स्थित है और इसे कटासराज शिव मंदिर नाम से जाना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव और माता सती ने विवाह के बाद कुछ समय कटासराज गांव में बिताया था.

गोरखनाथ मंदिर

पाकिस्तान के हिंदू मंदिरों की बात करें इसमें गोरखनाथ मंदिर का भी नाम आता है. जो कि पाकिस्तान के पेशावर में स्थित है और कई दशक तक इसे बंद रखा गया. लेकिन साल 2011 में इसे खोला गया और अब रोजाना भक्त यहां दर्शन करने आते हैं.

वरुण देव मंदिर

पाकिस्तान के कराची में वरुण देव मंदिर स्थित है जो कि लगभग 1000 साल पुराना है और यह मंदिर हिंदू धर्म की संस्कृति को दर्शाता है. भारत-पाकिस्तान बंटवारे के समय इस मंदिर को बंद कर दिया गया था और फिर साल 2007 में इसे फिर से खोला गया.

डिस्क्लेमर

यहां दी गई सभी जानकारियां सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं. India.Com इसकी पुष्टि नहीं करता. इसके लिए किसी एक्सपर्ट की सलाह अवश्य लें.