Anant Chaturdashi Vrat Katha: राजपाट वापस पाने के लिए पांडवों ने भी रखा था अनंत चतुर्दशी का व्रत, पढ़ें कथा

Anant Chaturdashi Vrat Katha: अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है और कहते हैं कि इस व्रत को रखने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

Published: September 17, 2024 9:35 AM IST

By Renu Yadav

Anant Chaturdashi Vrat Katha: राजपाट वापस पाने के लिए पांडवों ने भी रखा था अनंत चतुर्दशी का व्रत, पढ़ें कथा

Anant Chaturdashi Vrat Katha: हिंदी कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को अनंत चतुर्दशी कहते हैं और इस दिन व्रत रखने का विधान है. यह व्रत श्रीहरि भगवान विष्णु को समर्पित होता है और सुख-समृद्धि की कामना से रखा जाता है. वैदिक पंचांग के अनुसार इस साल अनंत चतुर्दशी का व्रत 17 सितंबर 2024 को रखा जाएगा और इसी दिन गणेश विसर्जन भी किया जाता है. अनंत चतुर्दशी का व्रत प्राचीन काल से रखा जा रहा है महाभार​त के दौरान पांडवों ने भी अपना राज्य वापस पाने के लिए यह व्रत रखा था. अगर आप भी अनंत चतुर्दशी व्रत रख रहे हैं तो पूजा के दौरान व्रत कथा जरूर पढ़ें.

अनंत चतुर्दशी व्रत कथा

पौराणिक कथा के अनुसार सुमंत नामक ऋषि की पत्नी दीक्षा ने एक पुत्री को जन्म दिया. उस पुत्री का का सुशीला रखा गया. लेकि‍न कुछ समय बात ही सुशीला की मां दीक्षा का देहांत हो गया और बच्‍ची के पालन पोषण के लि‍ए ऋषि ने तय किया कि वे दूसरी शादी करेंगे. ऋषि ने दूसरा विवाह कर लिया. लेकिन वह महिला स्‍वभाव से कर्कश थी.

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सुशीला बड़ी हो गई और उसके पिता ने कौण्‍ड‍िनय नामक ऋषि के साथ उसका विवाह कर दिया. ससुराल में भी सुशीला को सुख नहीं था. कौण्‍ड‍िन्‍य के घर में बहुत गरीबी थी. एक दिन सुशीला और उसके पति ने देखा कि लोग अनंत भगवान की पूजा कर रहे हैं. पूजन के बाद वे अपने हाथ पर अनंत रक्षासूत्र बांध रहे हैं. सुशीला ने यह देखकर व्रत के महत्‍व, पूजन के बारे में पूछा.

इसके बाद सुशीला ने भी व्रत करना शुरू कर दिया. सुशीला के दिन फिरने लगे और उनकी आर्थ‍िक स्‍थ‍िति में सुधार होने लगा. लेकि‍न सुशीला के पति कौण्‍ड‍िन्‍य को लगा कि सब कुछ उनकी मेहनत से हो रहा है. एक बार अनंत चतुर्दशी के दिन, जब सुशीला अनंत पूजा कर घर लौटी तक उसके हाथ में रक्षा सूत्र बंधा देखकर उसके पति ने इस बारे में पूछा.

सुशीला ने विस्‍तारपूर्वक व्रत के बारे में बताया और कहा कि हमारे जीवन में जो कुछ भी सुधार हो रहा है, वह अनंत चतुर्दशी व्रत का ही नतीजा है. कौण्‍ड‍िन्‍य ऋषि ने कहा कि यह सब मेरी मेहनत से हुआ है और तुम इसका पूरा श्रेय भगवान विष्‍णु को देना चाहती हो. ऐसा कहकर उसने सुशीला के हाथ से धागा उतरवा दिया.

भगवान इससे नाराज हो गए और कौण्‍ड‍िन्‍य पुन: दरिद्र हो गया. फिर एक दिन एक ऋषि ने कौण्‍ड‍िन्‍य को बताया कि उसने कितनी बड़ी गलती की है. कौण्‍ड‍िन्‍य से उसने उपाय पूछा. ऋषि ने बताया कि लगातार 14 वर्षों तक यह व्रत करने के बाद ही भगवान विष्‍णु तुम पर प्रसन्‍न होंगे. कौण्‍ड‍िन्‍य ने ऋषिवर के बताए मार्ग का अनुसरण किया और सुशीला व पूरे परिवार की आर्थ‍िक स्‍थ‍ित सुधर गई.

ऐसा कहा जाता है कि वनवास जाने के बाद पांडवों ने भी अनंत चतुर्दशी का व्रत रखा था, जिसके बाद उनके सभी कष्‍ट मिट गए थे और उन्‍हें कौरवों पर विजय मिली थी. यह व्रत करने के बाद सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र के दिन भी सुधर गए थे.

डिस्क्लेमर: यहां दी गई सभी जानकारियां सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं. India.Com इसकी पुष्टि नहीं करता. इसके लिए किसी एक्सपर्ट की सलाह अवश्य लें.

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