Indira Ekadashi Vrat Katha: पितरों को मोक्ष दिलाता है इंदिरा एकादशी का व्रत, पूजा के बाद जरूर पढ़ें ये व्रत कथा

Indira Ekadashi Vrat Katha: पितृ पक्ष की एकादशी को इंदिरा एकादशी कहा जाता है. मान्यता है कि इस व्रत को रखने से पितरों की मोक्ष की प्राप्ति होती है और घर में सुख-समृ​द्धि आती है.

Published: September 27, 2024 4:32 PM IST

By Renu Yadav

Indira Ekadashi Vrat Katha: पितरों को मोक्ष दिलाता है इंदिरा एकादशी का व्रत, पूजा के बाद जरूर पढ़ें ये व्रत कथा

Indira Ekadashi Vrat Katha: हिंदी कैलेंडर के अनुसार प्रत्येक माह दो एकादशी व्रत आते हैं और साल में कुल 24 एकादशी तिथियां पड़ती हैं. प्रत्येक एकादशी व्रत का अपना एक खास महत्व होता है. धर्म शास्त्रों में भी एकादशी व्रत के महत्व को बताया गया है जिसके अनुसार इस व्रत को रखने से मनुष्य को सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है. वहीं पितृ पक्ष में आने वाली एकादशी को इंदिरा एकादशी कहते हैं और यह व्रत रखने वाले जातक के साथ ही पितरों के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण होती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इंदिरा एकादशी का व्रत पितरों का मोक्ष दिलाता है. पंचांग के अनुसार इस साल इंदिरा एकादशी का व्रत 28 सितंबर 2024, शनिवार के दिन रखा जा रहा है. अगर आप भी यह व्रत रख रहे हैं तो पूजा के बाद व्रत कथा पढ़ना या सुनना न भूलें. क्योंकि ​व्रत कथा के बिना यह व्रत अधूरा माना जाता है.

इंदिरा एकादशी व्रत कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार इंद्रसेन नाम का एक राजा था जिसका महिष्मति राज्य पर शासन था. राजा के राज्य में सभी प्रजा सुखी थी और राजा इंद्रसेन भगवान विष्णु के परम भक्त थे. एक बार राजा के दरबार में देवर्षि नारद पहुंचे तब राजा ने उनका स्वागत सत्कार किया और आने का कारण पूछा. तब देवर्षि नारद ने बताया कि मैं यम से मिलने यमलोक गया था, वहां मैंने तुम्हारे पिता को देखा. वहां वह अपने पूर्व जन्म में एकादशी व्रत के खण्डित होने का दंड भोग रहे हैं. उन्हें तमाम तरह की यातनाएं झेलनी पड़ रही है.

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इसके लिए उन्होंने आपसे इंदिरा एकादशी का व्रत करने को कहा है ताकि उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हो सके. तब राजा ने नारद जी से इंदिरा एकादशी व्रत के बारे में जानकारी देने को कहा. देवर्षि ने आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी व्रत की विधि के पालन के बारे में बताया, जिससे उनके पिता की आत्मा को शांति मिली और बैकुंठ की प्राप्ति हुई.

डिस्क्लेमर: यहां दी गई सभी जानकारियां सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं. India.Com इसकी पुष्टि नहीं करता. इसके लिए किसी एक्सपर्ट की सलाह अवश्य लें.

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