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Bhaum Pradosh Vrat Katha: प्रत्येक माह की त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है और वैदिक पंचांग के अनुसार आज यानि 15 अक्टूबर को प्रदोष व्रत रखा जा रहा है. यह प्रदोष व्रत मंगलवार को पड़ रहा है इसलिए इसे भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है. यह व्रत देवो के देव महादेव को समर्पित होता है और इस दिन भोलेनाथ का पूजन प्रदोष काल यानि शाम के समय किया जाता है. कहते हैं कि प्रदोष व्रत की शाम को भगवान शिव प्रसन्न मुद्रा में होते हैं और ऐसे में यदि भक्त उनसे कुछ मांगें तो वह प्रसन्न होकर सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. अगर आप भी भौम प्रदोष व्रत रख रहे हैं तो शाम के समय पूजा के बाद व्रत कथा जरूर पढ़ें तभी यह व्रत सम्पूर्ण माना जाएगा.
पौराणिक कथा के अनुसार एक नगर में वृद्ध महिला रहती थी और उसका एक ही पुत्र था. वह वृद्धा हनुमान जी भक्त थी और उनके प्रति गहरी आस्था रखती थी. वृद्धा प्रत्येक मंगलवार को नियमपूर्वक व्रत रखकर हनुमानजी की आराधना करती थी. एक बार हनुमानजी ने उसकी श्रद्धा की परीक्षा लेने के बारे में सोचा. हनुमानजी साधु का वेश धारण कर वृद्धा के घर गए और पुकारने लगे- है कोई हनुमान भक्त, जो हमारी इच्छा पूर्ण करे? पुकार सुन वृद्धा बाहर आई और बोली- आज्ञा दीजिए महाराज. हनुमान (वेशधारी साधु) बोले- मैं भूखा हूं, भोजन करूंगा, तू थोड़ी जमीन लीप दे. वृद्धा दुविधा में पड़ गई. अंतत: हाथ जोड़कर बोली- महाराज, लीपने और मिट्टी खोदने के अतिरिक्त आप कोई दूसरी आज्ञा दें, मैं अवश्य पूर्ण करूंगी.
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साधु ने तीन बार प्रतिज्ञा कराने के बाद कहा- तू अपने बेटे को बुला. मैं उसकी पीठ पर आग जलाकर भोजन बनाऊंगा. यह सुनकर वृद्धा घबरा गई, परंतु वह प्रतिज्ञाबद्ध थी और इसलिए उसने अपने पुत्र को बुलाकर साधु के सुपुर्द कर दिया. वेशधारी साधु हनुमानजी ने वृद्धा के हाथों से ही उसके पुत्र को पेट के बल लेटाया और उसकी पीठ पर आग जलवाई. आग जलाकर दुखी मन से वृद्धा अपने घर में चली गई. इधर भोजन बनाकर साधु ने वृद्धा को बुलाकर कहा- तुम अपने पुत्र को पुकारो ताकि वह भी आकर भोग लगा ले. यह सुनकर वृद्धा बोली- साधु महाराज उसका नाम लेकर मुझे और कष्ट न पहुंचाओ. लेकिन जब साधु महाराज नहीं माने तो वृद्धा ने अपने पुत्र को आवाज लगाई और पुत्र घर से बाहर निकलकर आया. अपने पुत्र को जीवित देख वृद्धा को बहुत आश्चर्य हुआ और वह साधु के चरणों में गिर पड़ी. हनुमानजी अपने वास्तविक रूप में प्रकट हुए और वृद्धा को भक्ति का आशीर्वाद दिया.
डिस्क्लेमर: यहां दी गई सभी जानकारियां सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं. India.Com इसकी पुष्टि नहीं करता. इसके लिए किसी एक्सपर्ट की सलाह अवश्य लें.