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Jaya Ekadashi Vrat Katha: माघ माह के शुक्ल पक्ष की एकादश को जया एकादशी कहा जाता है. वैदिक पंचांग के अनुसार इस साल जया एकादशी का व्रत 8 फरवरी 2025, शनिवार को रखा जाएगा. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जया एकादशी के दिन विधि विधान से व्रत व पूजा करने से नीच योनि से मुक्ति मिलती है. साथ ही व्यक्ति मृत्यु के बाद मोक्ष को प्राप्त कर लेता है. इस दिन व्रत करने से व्यक्ति अपनी सभी इच्छाओं की पूर्ति कर सकता है. इस दिन पूजा के बाद व्रत कथा जरूर पढ़नी चाहिए. तभी यह व्रत सम्पूर्ण माना जाता है.
महाभारत की कहानी के अनुसार धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से पूछा- माघ शुक्ल में आने वाली एकादशी व्रत की क्या महत्ता है. तब श्री कृष्ण ने जया एकादशी की व्रत कथा सुनाई. जो इस प्रकार है-
पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार इंद्र की सभा में उत्सव हो रहा था. तब गंधर्वों में प्रसिद्ध माल्यवान सभा में गीत गा रहा था. परंतु उसका मन अपनी सुंदरी में असक्त था. ऐसे में स्वर और लय भंग होने पर इंद्र क्रोध में आ गए. तब उन्होंने क्रोधित होकर कहा – हे दुष्ट गंधर्व तू जिसकी याद में मस्त है वह राक्षसनी हो जाएगी. यह सब सुनकर माल्यवान बहुत घबराया और इंद्र से क्षमा याचना करने लगा. इंद्र के कुछ ना बोलने पर वह घर चला आया. यहां आकर देखने पर उसकी पत्नी सच में पिशाचिनी रूप में मिली.
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श्राप निवृत्ति के लिए उसने करोड़ों जतन करें लेकिन सफलता नहीं मिली. तब वह थक कर बैठ गया. तब उसका साक्षात्कार ऋषि नारद से हुआ. ऋषि नारद ने गंधर्व से उसके दुख का कारण पूछा. जब गंधर्व ने पूरी बात बताई तो नारद ने माघ शुक्ल पक्ष की जया एकादशी के व्रत को करने के लिए कहा. माल्यवान ने श्रद्धा पूर्वक एकादशी का व्रत किया और उसकी पत्नी श्रापमुक्त हो गई.
डिस्क्लेमर: यहां दी गई सभी जानकारियां सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं. India.Com इसकी पुष्टि नहीं करता. इसके लिए किसी एक्सपर्ट की सलाह अवश्य लें.