
पैसों की कमी दूर करता है एक चुटकी नमक, जानें ज्योतिष के ये उपाय
ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु जगदीश वासुदेव को आध्यात्मिकता और जन कल्याण के क्षेत्र में विशेष स्थान प्राप्त है. सद्गुरु ने मानवाधिकार, व्यापारिक मूल्य, सामाजिक व पर्यावरणीय मुद्दे जैसे- रैली फॉर रिवर्स, कावेरी कॉलिंग और जर्नी टू सेव सॉयल इत्यादि का नेतृत्व भी किया है. अध्यात्म और जन कल्याण के क्षेत्र में उनके इस योगदान के लिए वर्ष 2017 में उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था. सद्गुरु योग, आध्यात्मिकता और पर्यावरण संरक्षण का प्रचार-प्रसार न केवल देश में, बल्कि विदेशों में भी बड़े स्तर पर करते हैं. साथ ही सद्गुरु द्वारा दिए गए ज्ञान को कई युवाओं द्वारा सुना और पढ़ा जाता है.
12 जनवरी 1863 को जन्में स्वामी विवेकानंद ने मात्र 25 वर्ष की आयु में सन्यास धारण कर लिया था. अध्यात्म के प्रचार-प्रसार के लिए उन्होंने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया. स्वामी विवेकानंद ने कम आयु में ही गुरुदेव स्वामी रामकृष्ण परमहंस के सानिध्य में अध्यात्म और इससे जुड़े रहस्यों को जान लिया और इसका प्रचार-प्रसार पुरे विश्व में किया था. अमेरिका में विश्व धर्म परिषद सम्मेलन में स्वामी जी द्वारा दिए गए ऐतिहासिक भाषण को आज भी याद किया जाता है. उनके इस भाषण को सुनकर सम्मेलन में उपस्थित सभी विद्वान चकित रह गए थे.
अध्यात्म के क्षेत्र में गौर गोपाल दास का नाम काफी चर्चा में रहता है. इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बाद, उन्होंने एक बड़े अंतराष्ट्रीय कम्पनी में काम किया. लेकिन कुछ समय बाद उन्हें यह आभास हुआ कि वह ये काम नहीं करना चाहते हैं. बचपन से ही गौर गोपाल दास समाज में सकारात्मक बदलाव लाने पर विचार करते थे. वर्ष 1996 में नौकरी छोड़ने के बाद वह इस्कॉन से जुड़े और इस्कॉन से जुड़ने के बाद उन्हें अपना उद्देश्य साफ-साफ नजर आने लगा. आज भारत सहित विश्वभर में गौर गोपाल दास को लाखों युवाओं द्वारा सुना और पढ़ा जाता है.
महाराष्ट्र के पुणे में जन्मी बीके शिवानी को प्रमुख आध्यात्मिक गुरु के रूप में जाना जाता है. वह वर्तमान समय प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज ईश्वरीय विश्वविद्यालय से आध्यात्मिक गुरु के रूप में जुड़ी हुई हैं. बीके शिवानी लोगों को अध्यात्म जीवन अपनाने के लिए प्रेरित करती हैं. साथ ही वह बताती हैं कि जीवन में दुख और तनाव से किस तरह दूर रहा जाए. भारत सहित विदेशों में भी बीके शिवानी को लाखों लोगों द्वारा सुना जाता है. वह 1996 से राजयोग ध्यान की शिक्षिका हैं. साथ ही उनके इस योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा उन्हें, नारी शक्ति पुरस्कार द्वारा सम्मानित किया गया था.
जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य जी का नाम अध्यात्म के क्षेत्र में शीर्ष पर लिया जाता है. बचपन से नेत्रहीन होने के बावजूद स्वामी रामभद्राचार्य जी को सभी वेद और उपनिषद कंठस्त हैं. स्वामी जी के अनुयायी उन्हें, गोस्वामी तुलसीदास जी का रूप मानते हैं. उन्हें आधुनिक काल के प्रखर वक्ता, दार्शनिक, कवि, कथाकार और शीर्ष धर्म गुरु के रूप में भी जाना जाता है. भारत सरकार द्वारा स्वामी रामभद्राचार्य जी को पद्मविभूषण से भी सम्मानित किया गया था. उन्हें श्रीमद्भगवद्गीता सहित रामचरितमानस जैसे अनेकों ग्रंथ कंठस्त हैं. उन्होंने अपनी दिव्य दृष्टि से कई भविष्यवाणियां की थीं, जिनमें से कई सच भी हुई हैं.
उत्तर प्रदेश के कानपूर में जन्में हित प्रेमानंद महाराज जी का बचपन का नाम अनिरुद्ध कुमार पाण्डेय था. घर पर साधु-संतों का आना-जाना लगा रहता था, जिस वजह से उनका बचपन आध्यात्मिक माहौल में बीता. वर्तमान समय में हित प्रेमानंद जी महाराज वृन्दावन में निवास करते हैं और वहीं भक्तों से मिलते हैं. प्रेमानंद महाराज जी की दोनों किडनी पिछले 17 से फेल हैं, लेकिन हर दिन सुबह वृंदावन की 10 से 12 किलोमीटर की परिक्रमा जरूर करते हैं. कई नामी हस्तियां हित प्रेमानंद जी के दर्शन कर चुके हैं, इनमें भारतीय क्रिकेटर विराट कोहली और अभिनेत्री अनुष्का शर्मा का भी नाम शामिल है.