प्रेग्नेंसी के दौरान थायरॉइड होने पर क्या बच्चे की सेहत पर पड़ता है असर? डॉक्टर से जानें

कुछ महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान थायरॉइड की समस्या होने लगती है, ऐसे में अक्सर ये सवाल उठता है कि क्या इसका बच्चे की सेहत पर कुछ असर पड़ता है? आइए डॉक्टर से जानते हैं.

Published: March 25, 2025 9:16 AM IST

By Shweta Bajpai | Edited by Shweta Bajpai

प्रेग्नेंसी के दौरान थायरॉइड होने पर क्या बच्चे की सेहत पर पड़ता है असर? डॉक्टर से जानें

थायरॉइड एक ग्लैंड है जो शरीर में हार्मोन को कंट्रोल करती है. यह हार्मोन शरीर की एनर्जी , मेटाबॉलिज्म और ग्रोथ से जुड़े होते हैं. डॉ. आस्था दयाल (डायरेक्टर – आब्सटेट्रिक्स और गायनेकोलॉजी , सीके बिरला हॉस्पिटल गुरुग्राम) ने बताया कि जब कोई महिला प्रेग्नेंट होती है, तब उसके शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलावों का असर थायरॉइड पर भी पड़ता है. अगर इस दौरान थायरॉइड की समस्या हो जाए, तो यह न सिर्फ मां बल्कि वॉम्ब में पल रहे बच्चे की सेहत को भी इफ़ेक्ट कर सकता है.

टाइप्स ऑफ थायरॉइड-

थायरॉइड की समस्या दो तरह की होती है –

1. हाइपोथायरॉइडिज्म
2. हाइपरथायरॉइडिज्म

  • हाइपोथायरॉइडिज्म – हाइपोथायरॉइडिज्म के कारण बच्चे के मेन्टल और फिजिकल ग्रोथ पर इफ़ेक्ट हो सकता है. इससे मिसकैरिज का खतरा बढ़ जाता है और समय से पहले डिलीवरी की संभावना रहती है. जन्म के बाद बच्चा सुस्ती, कम वजन और कमजोरइम्यून सिस्टम के साथ पैदा हो सकता है. कुछ मामलों में, यह बच्चे के दिमागी विकास को इफ़ेक्ट कर सकता है, जिससे उसे चीज़ें सीखने में मुश्किल हो सकती है.
  • हाइपरथायरॉइडिज्म- हाइपरथायरॉइडिज्म के कारण प्रेगनेंसी के दौरान ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है, जिससे प्री-एक्लेम्पसिया होने का खतरा बढ़ जाता है. यह एक गंभीर स्थिति होती है, जिसमें मां और बच्चे दोनों की सेहत पर असर पड़ सकता है. इससे प्रीमेच्योर डिलीवरी की संभावना रहती है और बच्चा बहुत कम वजन का पैदा हो सकता है. इसके अलावा, नवजात शिशु को हार्ट रेट तेज होने की समस्या हो सकती है, जिससे आगे चलकर स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें आ सकती हैं.

प्रिवेंशन –

अगर किसी महिला को पहले से ही थायरॉइड की समस्या है और वह प्रेगनेंसी प्लान कर रही है, तो उसे डॉक्टर से पहले कंसल्ट करना चाहिए. प्रेगनेंसी के दौरान नियमित रूप से थायरॉइड टेस्ट करवाना जरूरी होता है, ताकि किसी भी समस्या का जल्दी पता चल सके.

थायरॉइड की समस्या से बचाव के लिए डॉक्टर की सलाह के अनुसार दवाइयां समय पर लेना जरूरी है. आयोडीन से भरा खाना खाये जैसे दूध, दही, अंडे, मछली और आयोडीन युक्त नमक का सेवन करें. स्ट्रेस से बचें और हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं। हल्का व्यायाम करें और भरपूर नींद लें, ताकि शरीर स्वस्थ बना रहे.

प्रेगनेंसी के दौरान थायरॉइड की समस्या को नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है. सही समय पर जांच और इलाज से मां और बच्चे दोनों को सुरक्षित रखा जा सकता है. इसलिए, प्रेगनेंसी के दौरान थायरॉइड की जांच करना और सही इलाज लेना बेहद जरूरी है.

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