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राष्ट्रीय राजनीति में कुछ नेताओं की तरफ से बीच-बीच में सरकार के सामने एक मांग रखी जाती है. ये मांग होती है किसी राज्य को स्पेशल स्टेटस देने की. 2024 में लोकसभा चुनाव के बाद BJP की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के प्रमुख घटक दल जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने बिहार और तेलुगू देशम पार्टी (TDP) ने आंध्र प्रदेश के लिए स्पेशल स्टेटस की मांग की. बिहार के CM और JDU नेता नीतीश कुमार कई मंचों पर बिहार के लिए अपनी बात रखी. आंध्र के CM चंद्रबाबू नायडू ने भी विशेष राज्य का दर्जा मांगा. लेकिन मोदी सरकार ने साफ कर दिया कि 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों के बाद किसी भी राज्य को स्पेशल स्टेटस देने की गुंजाइश नहीं रहती है.
आइए समझते हैं आखिर विशेष राज्य का दर्जा क्या होता है? ये किस आधार पर तय होता है और कैसे मिलता है? किसी स्पेशल स्टेटस वाले राज्य को क्या-क्या फायदे होते हैं:-
कैसे मिलता है विशेष राज्य का दर्जा?
भारत के संविधान में वैसे तो विशेष राज्य का दर्जा देने का प्रावधान नहीं है. हालांकि, आर्टिकल 371, 371A से 371J के रूप में राज्यों के लिए कई प्रावधान का जिक्र है. 1969 में पहली बार पांचवें वित्त आयोग के सुझाव पर 3 राज्यों को भौगोलिक, सामाजिक और आर्थिक संसाधनों के आधार पर विशेष राज्य का दर्जा मिला. ये 3 राज्य इन पॉइंट्स पर बाकी राज्यों के मुकाबले पिछड़े हुए थे.
ये राज्य कौन से थे और इनकी पहचान कैसे हुई?
1969 में पांचवें वित्त आयोग ने गाडगिल फॉर्मूले के तहत पहली बार 3 राज्यों असम, नगालैंड और जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा दिया. नेशनल डेवलपमेंट काउंसिल ने पहाड़, दुर्गम क्षेत्र, कम जनसंख्या, आदिवासी इलाका, अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर, प्रति व्यक्ति आय और कम राजस्व के आधार पर इन राज्यों की पहचान की.
कौन तय करता है किन्हें मिलेगा ये दर्जा
प्रधानमंत्री, केंद्रीय कैबिनेट, राज्यों के मुख्यमंत्री, नीति आयोग के सदस्य मिलकर तय करते हैं कि किस राज्य को स्पेशल स्टेटस दिया जाना चाहिए.
किस आधार पर तय होगा कि स्पेशल स्टेटस मिलेगा या नहीं?
विशेष राज्य का दर्जा मिलेगा या नहीं… ये तय करने के लिए सरकार ने 5 बातों को आधार माना है:-
-राज्यों की वित्तीय हालत खराब हो.
-राज्य में अधिकांश इलाका पहाड़ी और दुर्गम हो.
-राज्य आर्थिक और इंफ्रास्ट्रक्चल स्तर पर पिछड़ा हुआ हो.
-जनसंख्या घनत्व कम हो या आदिवासी आबादी ज्यादा हो.
-पड़ोसी देशों की सीमाओं के साथ स्ट्रैटजिक लोकेशन पर स्थित हो.
विशेष राज्य का दर्जा मिलने के क्या हैं फायदे?
विशेष राज्य का दर्जा पाने वाले राज्यों को केंद्र सरकार द्वारा दी गई राशि में 90% अनुदान और 10% रकम बिना ब्याज के कर्ज के तौर पर मिलती है. दूसरी श्रेणी के राज्यों को केंद्र सरकार द्वारा 30% राशि अनुदान के रूप में और 70% राशि कर्ज के रूप में दी जाती है. इसके अलावा विशेष राज्यों को एक्साइज, कस्टम, कॉर्पोरेट, इनकम टैक्स में भी रियायत मिलती है.यही नहीं, केंद्रीय बजट में प्लान्ड खर्च का 30% हिस्सा विशेष राज्यों को मिलता है. विशेष राज्यों द्वारा खर्च नहीं हुआ पैसा अगले वित्त वर्ष के लिए जारी हो जाता है.
अब तक कितने राज्यों को मिल चुका है ये स्टेटस?
फिलहाल देश के 11 राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा मिला हुआ है. असम, नगालैंड और जम्मू-कश्मीर के बाद अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, सिक्किम, त्रिपुरा, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड को स्पेशल स्टेटस मिला.
और कौन से राज्यों ने मांग की?
केंद्र के मुताबिक आंध्र प्रदेश के अलावा बिहार, ओडिशा, राजस्थान व गोवा की सरकारें केंद्र सरकार से विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग कर रही हैं. दिल्ली में AAP की सरकार रहते हुए अरविंद केजरीवाल ने भी दिल्ली के लिए स्पेशल स्टेटस की मांग की थी. वहीं, आंध्र का कहना है कि तेलंगाना बनने से प्रदेश का राजस्व घाटा 16 हजार करोड़ रुपये हो गया है. इसलिए उसे भी स्पेशल स्टेटस चाहिए.
बिहार और दिल्ली को क्यों नहीं मिला विशेष राज्य का दर्जा?
केंद्र के अनुसार, विशेष राज्य का दर्जा देने का फैसला सभी बेस पॉइंट पर लिया गया था. बिहार के अनुरोध का 2012 में एक अंतर-मंत्रालयी समूह (IMC) ने रिव्यू किया. इसमें पाया गया कि मौजूदा मानदंडों के आधार पर बिहार इस दर्जे के लिए योग्य नहीं है. इसलिए इसे विशेष दर्जा नहीं मिल सकता. इन्हीं कारणों से दिल्ली और आंध्र प्रदेश की मांग भी खारिज हो गई है. सरकार ने साफ कर दिया है कि 14वें वित्त आयोग के बाद अब यह दर्जा नॉर्थ-ईस्ट और पहाड़ी राज्यों के अलावा किसी और को नहीं मिल सकता है.
14वें वित्त आयोग ने ग्रांट बंद करने का दिया था सुझाव
14वें वित्त आयोग ने गाडगिल फॉर्मूला-बेस्ड ग्रांट बंद करने का सुझाव दिया था. ये विशेष राज्यों को दी जाने वाली ग्रांट थी. 2015 में 14वें वित्त आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद एक तरह से विशेष राज्य के दर्जे की अवधारणा लगभग खत्म हो गई. अब किसी और राज्य को इस तरह का स्टेटस मिलेगा इसकी संभावना ना के बराबर है.
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