World Hindi – Latest News, Breaking News, LIVE News, Top News Headlines, Viral Video, Cricket LIVE, Sports, Entertainment, Business, Health, Lifestyle and Utility News | India.Com https://www.india.com Mon, 13 Nov 2017 13:22:27 +0000 en hourly 1 https://wordpress.org/?v=5.9.3 Rohingya Boy Can’t Swim, But Floats Across The River From Myanmar To Bangladesh | तैरना नहीं आता था, लेकिन ड्रम के सहारे म्यांमार से बांग्लादेश पंहुचा 13 साल का नबी हुसैन https://www.india.com/world-hindi/rohingya-boy-cant-swim-but-floats-across-the-river-from-myanmar-to-bangladesh-2629618/ https://www.india.com/world-hindi/rohingya-boy-cant-swim-but-floats-across-the-river-from-myanmar-to-bangladesh-2629618/#respond Mon, 13 Nov 2017 11:49:42 +0000 https://www.india.com/?p=2629618 शाह पोरिर द्वीप (बांग्लादेश)। कहते हैं कि ‘जाको राखे साइयां मार सके न कोई’,  कुछ ऐसा ही हुआ नबी हुसैन के साथ जिसने जिंदा रहने की अपनी सबसे बड़ी जंग एक पीले रंग के प्लास्टिक के ड्रम के सहारे जीती. रोहिंग्या मुसलमान किशोर नबी की उम्र महज 13 साल है और वह तैर भी नहीं सकता है. म्यांमार में अपने गांव से भागने से पहले उसने कभी समुद्र को करीब से नहीं देखा था. उसने म्यांमार से बांग्लादेश तक का समुद्र का सफर पीले रंग के प्लास्टिक के खाली ड्रम पर अपनी मजबूत पकड़ के सहारे लहरों को मात देकर पूरा किया. करीब ढाई मील की इस दूरी के दौरान समुद्री लहरों के थपेड़ों के बावजूद उसने ड्रम पर अपनी पकड़ नहीं छोड़ी.
बता दें कि म्यांमार में हिंसा की वजह से सहमे रोहिंग्या मुसलमान हताशा में अपना घरबार सब कुछ छोड़ कर वहां से निकलने की कोशिश में हैं. वे लोग तैरकर पड़ोस के देश बांग्लादेश जाने की कोशिश कर रहे हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक एक हफ्ते में ही तीन दर्जन से ज्यादा लड़कों ने खाने के तेल के ड्रमों का इस्तेमाल करते हुए नफ नदी को पार किया. 
धारीदार शर्ट और चेक की धोती पहने पतले-दुबले नबी ने कहा कि मैं मरने को लेकर बेहद डरा हुआ था. मुझे लगा कि यह मेरा आखिरी दिन होने वाला है. म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमान दशकों से रह रहे हैं लेकिन वहां के बौद्ध उन्हें अब भी बांग्लादेशी घुसपैठियों के तौर पर देखते हैं. सरकार उन्हें मूलभूत अधिकार भी नहीं देती और संयुक्त राष्ट्र ने उन्हें दुनिया की सबसे पीड़ित अल्पसंख्यक आबादी कहा था.
अगस्त के बाद से करीब छह लाख रोहिंग्या बांग्लादेश जा चुके हैं. कमाल हुसैन (18) भी तेल के ड्रम के सहारे ही बांग्लादेश पहुंचा था. उसने कहा कि हम बेहद परेशान थे इसलिए हमें लगा कि पानी में डूब जाना कहीं बेहतर होगा. नबी इस देश में किसी को नहीं जानता और म्यांमार में उसके माता-पिता को यह नहीं पता कि वह जीवित है. उसके चेहरे पर अब पहले वाली मुस्कान नहीं रहती और वह लोगों से आंख भी कम ही मिलाता है.
नबी अपने माता-पिता की नौ संतानों में चौथे नंबर का था. म्यांमार में पहाड़ियों पर रहने वाले उसके किसान पिता पान के पत्ते उगाते थे. समस्या तब शुरू हुई जब एक रोहिंग्या विद्रोही संगठन ने म्यांमार के सुरक्षा बलों पर हमला किया. म्यांमार के सुरक्षा बलों ने इसपर बेहद सख्त कार्रवाई की। सैन्य कार्रवाई के दौरान ढेर सारे लोग मारे गए, महिलाओं के साथ दुष्कर्म किया गया और उनके घरों व संपत्तियों को आग लगा दी गई. नबी ने जब आखिरी बार अपने गांव को देखा था तब वहां सभी घर जलाए जा चुके थे.
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