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Haryana Municipal Body Elections : हरियाणा में कांग्रेस के लगातार दूसरी बार चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के हाथों करारी हार मिली है. स्थानीय चुनावों को लेकर बीते 2 मार्च को हुए मतदान के नतीजे बुधवार, 12 मार्च को घोषित किए गए. 10 सीटों पर हुए चुनाव नतीजों में बीजेपी ने क्लीन स्वीप कर कांग्रेस को बड़ा झटका दिया है. मेयर के 10 में से 9 सीटों पर बीजेपी के प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की है, वहीं पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के गढ़ माने जाने वाले रोहतक में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा है. 10 में से एक सीट मानेसर से निर्दलीय उम्मीदवार और भाजपा के बागी नेता डॉ इंद्रजीत यादव ने जीत हासिल की.
हरियाणा निकाय चुनाव में बीजेपी की प्रचंड जीत के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने भी जीत का जश्न मनाया. उन्होंने मीडिया कर्मियों से बात करते हुए कहा, ‘लोगों ने ‘ट्रिपल इंजन’ वाली सरकार पर अपनी मुहर लगाई है, मैं तहे दिल से लोगों का शुक्रिया अदा करता हूं. हमारी स्थानीय निकाय सरकार और यह ‘ट्रिपल इंजन’ वाली सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘विकसित भारत’ के सपने को पूरा करने में अहम भूमिका निभाएगी. वहीं, हरियाणा के शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा ने ‘पूर्ण जनादेश’ की बदौलत राज्य के लिए और अधिक विकास का वादा किया.
गौरतलब है कि कांग्रेस, जो पिछले साल विधानसभा चुनाव में बड़ी बढ़त हासिल करने के बावजूद हार गई थी, पार्टी ने इससे पहले सिर्फ एक बार अपने चुनाव चिह्न के तहत स्थानीय चुनाव लड़ा है. हालांकि, इस बार पार्टी ने गुरुग्राम के मेयर पद के लिए कई उम्मीदवार उतारे, जिसमें पहली बार भाजपा के साथ सीधा मुकाबला हुआ. इसके जवाब में बीजेपी ने राज्य के शीर्ष नेताओं, मुख्यमंत्री नायब सैनी और दिल्ली की नई मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को चुनाव प्रचार के लिए मैदान में उतारा. वहीं, कांग्रेस ने राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट और भूपेंद्र सिंह हुड्डा को प्रचार का जिम्मा दिया था.
मौजूदा भाजपा उम्मीदवार राज रानी ने कांग्रेस की सीमा पाहुजा को एक लाख से अधिक मतों से हराया. रोहतक की मेयर सीट के लिए मुकाबला कागजों पर भाजपा, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, इंडियन नेशनल लोकदल और एक निर्दलीय के बीच पांच-तरफा था. लेकिन भाजपा के राम अवतार निर्विवाद विजेता बनकर उभरे. उन्हें एक लाख से अधिक मत मिले, जबकि कांग्रेस के सूरजमल किलोई 45,000 से अधिक मतों से दूसरे स्थान पर रहे. यह परिणाम कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है, क्योंकि यह हुड्डा का गढ़ है.