शंभू बॉर्डर पर ट्रैफिक एक साल बाद शुरू, खनौरी में रास्ता खोलने की तैयारी; आक्रोशित किसानों ने किया प्रदर्शन

प्रशासन द्वारा सड़क पर से अवरोधक हटाने का काम जारी है. नाराज किसानों ने बुधवार शाम प्रदर्शनकारियों पर की गई कार्रवाई के खिलाफ पंजाब में मोगा, तरनतारन, मुक्तसर और फरीदकोट सहित कई स्थानों पर प्रदर्शन किया.

Published: March 21, 2025 7:43 AM IST

By Farha Fatima

शंभू बॉर्डर पर ट्रैफिक एक साल बाद शुरू, खनौरी में रास्ता खोलने की तैयारी; आक्रोशित किसानों ने किया प्रदर्शन

पंजाब पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारी किसानों को हिरासत में लेने और विरोध स्थल पर उनकी ओर से बनाए गए अस्थायी ढांचों को ध्वस्त करने के एक दिन बाद शंभू-अंबाला राजमार्ग पर यातायात एक साल से अधिक समय बाद फिर से शुरू हो गया. हरियाणा पुलिस द्वारा सड़क पर से अवरोधक हटाने के साथ खनौरी बॉर्डर से भी आवाजाही शुरू होने वाली है. प्रशासन द्वारा सड़क पर से अवरोधक हटाने का काम जारी है. नाराज किसानों ने बुधवार शाम प्रदर्शनकारियों पर की गई कार्रवाई के खिलाफ पंजाब में मोगा, तरनतारन, मुक्तसर और फरीदकोट सहित कई स्थानों पर प्रदर्शन किया. किसानों ने दावा किया कि हिरासत में लिए गए लोगों ने पुलिस कार्रवाई के विरोध में भूख हड़ताल शुरू कर दी है. मोगा में जिला उपायुक्त कार्यालय के बाहर विरोध-प्रदर्शन करने जा रहे किसानों के एक समूह की पुलिस कर्मियों के साथ झड़प भी हुई. प्रदर्शनकारियों में महिलाएं भी शामिल थीं.

घटनाक्रम पर राजनीतिक दलों से प्रतिक्रियाएं

दिल्ली में जारी एक बयान में आम आदमी पार्टी (आप) ने किसानों के प्रति अपना समर्थन दोहराया, लेकिन पंजाब की अर्थव्यवस्था की रक्षा के लिए प्रमुख सड़कों को यातायात के लिए खोलने की तत्काल आवश्यकता को भी रेखांकित किया.

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने आरोप लगाया कि ‘आप’ नेता और मुख्यमंत्री भगवंत मान ने लुधियाना पश्चिम उपचुनाव से पहले ‘‘वोट हासिल करने’’ के लिए धरना स्थलों को खाली करवाया है. इस बीच, कांग्रेस ने दोनों पार्टियों की आलोचना की और आरोप लगाया कि उनकी मिलीभगत है.

किसानों ने ‘आप’ सरकार की आलोचना की

प्रदर्शनकारी किसानों ने शंभू और खनौरी बॉर्डर से प्रदर्शनकारियों को हटाने और किसान नेताओं को हिरासत में लेने के लिए पंजाब की ‘आप’ सरकार की आलोचना की. किसान फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गांरटी सहित विभिन्न मुद्दों को लेकर पिछले साल दिल्ली कूच कर रहे थे, लेकिन शंभू और खनौरी चौकियों पर रोके जाने के बाद वे पिछले साल 13 फरवरी से वहीं पर डेरा डाले हुए थे. किसानों ने प्रदर्शनकारियों को समायोजित करने और अपने आंदोलन को जारी रखने के लिए राजमार्ग पर अस्थायी संरचनाएं बना ली थीं.

हरियाणा के सुरक्षा अधिकारियों ने पंजाब से लगी सीमा पर सीमेंट के ब्लॉक, लोहे की कीलें और कंटीले तारों की मदद से अवरोधक लगाए थे, ताकि ‘दिल्ली चलो’ कार्यक्रम के तहत पंजाब से किसानों के राजधानी की ओर बढ़ने के हर प्रयास को विफल किया जा सके. इसकी वजह से, शंभू-अंबाला और संगरूर-जींद सड़कों पर यातायात एक वर्ष से अधिक समय तक बंद रहा.

हरियाणा के सुरक्षाकर्मियों ने शंभू-अंबाला राजमार्ग पर लगाए गए सीमेंट के अवरोधक हटा दिए, जिससे सड़क यातायात बहाल हो गया, जबकि खनौरी सीमा पर सड़क पर अवरोधक को हटाया जा रहा है. इससे पहले, पंजाब पुलिस ने भी शंभू और खनौरी बॉर्डर पर पंजाब की ओर स्थित शेष अस्थायी ढांचों को हटाने का अभियान बृहस्पतिवार को फिर शुरू कर दिया. पुलिस ट्रैक्टर-ट्रॉलियों को खुले मैदान में ले गई, ताकि किसान अपना पहचान पत्र दिखाकर उन्हें ले जा सकें.

इस बीच, संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने पंजाब पुलिस की कार्रवाई के विरोध में बृहस्पतिवार को उपायुक्तों के कार्यालयों के बाहर धरना देने की घोषणा की. दोनों संगठनों ने चंडीगढ़ में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में एक केंद्रीय प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक के बाद लौट रहे प्रदर्शनकारियों को हटाने और किसान नेताओं को हिरासत में लेने के लिए पंजाब की ‘आप’ सरकार की आलोचना की.

पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा

पुलिस कार्रवाई को लेकर कुछ वर्गों की आलोचना का सामना कर रहे पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि ‘आप’ सरकार राज्य में उद्योगों को आकर्षित करके युवाओं के लिए रोजगार पैदा करने के लिए प्रतिबद्ध है. चीमा ने कहा, ‘‘शंभू और खनौरी बॉर्डर पर दो प्रमुख राजमार्गों के एक साल से अधिक समय से बंद होने के कारण पंजाब में व्यापार बुरी तरह से प्रभावित हुआ है.’’ मंत्री ने यह भी कहा कि जब पंजाब नशे के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है, तो ऐसे समय में युवाओं को रोजगार प्रदान करना यह लड़ाई जीतने के लिए आवश्यक है.

मुख्यमंत्री भगवंत मान पर आरोप

भाजपा की पंजाब इकाई के अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने मुख्यमंत्री भगवंत मान पर आरोप लगाया कि वह फर्जी किसान नेताओं को आगे बढ़ाकर राज्य को आर्थिक अस्थिरता की ओर धकेल रहे हैं, जिन्हें किसानों के कल्याण की कोई चिंता नहीं है. उन्होंने सवाल किया, ‘‘यदि शंभू और खनौरी को ऐसे किसान नेताओं के विरोध के बिना खाली किया जा सकता है, तो पंजाब को 400 दिनों तक क्यों परेशान रहने दिया गया और जान-माल तथा राजस्व का नुकसान क्यों सहा गया.’’ जाखड़ ने कहा, ‘‘यह भगवंत मान ही थे, जिन्होंने 2024 के लोकसभा चुनावों के दौरान ‘आप’ के अनुकूल होने के कारण किसानों को पहले ‘धरने’ पर बैठने के लिए मजबूर किया था, और अब यह वही मान हैं, जो लुधियाना पश्चिम उपचुनाव से पहले वोट हासिल करने के लिए शंभू और खनौरी सीमा को खाली करने का श्रेय लेने की कोशिश कर रहे हैं.’’

मान पर केंद्र के साथ ‘मिलीभगत’ का आरोप

कांग्रेस नेता प्रताप सिंह बाजवा ने मान पर भाजपा नीत केंद्र सरकार के साथ ‘मिलीभगत’ का आरोप लगाया. बाजवा ने कहा, ‘‘पहले, एक फर्जी विमर्श पेश किया गया कि किसानों ने राजमार्ग को अवरुद्ध कर दिया है, जिससे पंजाब के उद्योगों को नुकसान हो रहा है. वास्तव में, यह भाजपा के नेतृत्व वाली हरियाणा सरकार थी, जिसने किसानों को दिल्ली में प्रवेश करने से रोकने के लिए राजमार्ग को अवरुद्ध कर दिया था. अब भाजपा के इशारे पर ‘आप’ ने किसानों पर कार्रवाई शुरू कर दी है, जो बेहद अलोकतांत्रिक है.’’

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने किसानों को जबरन हटाने की निंदा की

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने पंजाब सरकार द्वारा किसानों को आंदोलन स्थल से जबरन हटाने की निंदा की. उन्होंने कहा कि किसानों की अनदेखी करना और उन्हें दिल्ली जाने से रोकना पूरी तरह से अलोकतांत्रिक है. हुड्डा ने संवाददाताओं से कहा कि सरकार को उनकी मांगें माननी चाहिए और फसलों के लिए एमएसपी की कानूनी गारंटी देनी चाहिए.

किसान नेता सतनाम सिंह पन्नू क्या बोले

किसान मजदूर संघर्ष समिति (केएमएससी) के नेता सतनाम सिंह पन्नू ने पुलिस कार्रवाई की निंदा की और पंजाब सरकार पर केंद्र की मिलीभगत से प्रदर्शनकारी किसानों पर कार्रवाई करने का आरोप लगाया. पन्नू ने कहा, ‘‘यह लोकतांत्रिक अधिकारों की हत्या थी. किसान दिल्ली जाना चाहते थे, लेकिन हरियाणा सरकार ने केंद्र के इशारे पर सड़कों पर अवरोधक लगा दिए.’’

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