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Digital Arrest: गुजरात के अहमदाबाद में एक बिल्डर को साइबर ठगों ने पुलिस अधिकारी बनकर डिजिटल तरीके से गिरफ्तार कर लिया और एक करोड़ रुपये की ठगी की. बिल्डर ने अहमदाबाद साइबर क्राइम सेल में शिकायत दर्ज कराई. बिल्डर ने पुलिस को दी अपने शिकायत में आरोप लगाया कि साइबर अपराधियों ने उसका भरोसा जीतने के लिए उसके हाल ही में हुए 50 करोड़ रुपये के जमीन सौदे का इस्तेमाल किया. मामला 3 जुलाई को शुरू हुआ, जब बिल्डर को मुंबई की अंधेरी फेडएक्स कूरियर कंपनी का प्रतिनिधि होने का दावा करते हुए एक कॉल आया.
कॉल करने वाले ने दावा किया कि उसके नाम पर एक पार्सल में 550 ग्राम एमडी ड्रग्स है, और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCP) ने उसके खिलाफ शिकायत दर्ज की है. इसके बाद कॉल को NCB अधिकारी के रूप में पेश किए गए किसी व्यक्ति को ट्रांसफर कर दिया गया, जिसने बिल्डर से स्काइप पर बात करने को कहा.
स्काइप वीडियो कॉल के दौरान, बिल्डर ने एक व्यक्ति को पुलिस स्टेशन में बैठे देखा. वीडियो कॉल में मौजूद व्यक्ति ने खुद को प्रदीप सावंत नाम का एक पुलिस इंस्पेक्टर बताया और बिल्डर से उसके बैंक खाते से जुड़े संदिग्ध लेन-देन को स्वीकार करने की बात की. बिल्डर को CBI, ED, NCB और मुंबई साइबर क्राइम सेल जैसी एजेंसियों द्वारा जांच की धमकी दी गई. बिल्डर पर कथित आरोपों से बचने के लिए 1.05 करोड़ रुपये ऑनलाइन ट्रांसफर करने का दबाव डाला गया.
घोटालेबाजों ने दावा किया कि पैसे 10 दिनों के भीतर वापस कर दिए जाएंगे. बिल्डर का भरोसा जीतने के लिए, उन्होंने हाल ही में मुंबई में उनके द्वारा किए गए 50 करोड़ रुपये के जमीन सौदे के बारे में विस्तृत जानकारी का हवाला दिया. पैसे ट्रांसफर करने के बाद बिल्डर को ठगों से कोई और मैसेज नहीं मिला. इसके बाद उसे एहसास हुआ कि उसके साथ धोखाधड़ी हुई है. उसने शिकायत दर्ज कराने के लिए पांच महीने बाद अहमदाबाद साइबर सेल से संपर्क किया.
घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए, FedEx ने कहा कि उसने कभी भी अनचाहे फोन कॉल, मेल या ईमेल के जरिए माल की शिपिंग या रोके जाने के लिए व्यक्तिगत जानकारी नहीं मांगी. कंपनी ने आगे कहा, ‘अगर किसी व्यक्ति को कोई संदिग्ध फोन कॉल या मैसेज मिलता है, तो उन्हें सलाह दी जाती है कि वे अपनी व्यक्तिगत जानकारी न दें. इसके बजाय, उन्हें तुरंत आस-पास के स्थानीय कानून प्रवर्तन अधिकारियों से संपर्क करें या साइबर सेल को सूचित करें.
आज के समय में डिजिटल अरेस्ट की चर्चा आम बात हो गई है. डिजटल अरेस्ट एक तरह का साइबर क्राइम है, जिसके जरिये अपराधी किसी व्यक्ति की जानकारी चुराकर उसे मानसिक रूप से परेशान करने के साथ-साथ पैसों की ठगी भी करते हैं. अपराधी उन्हें वीडियो कॉल के जरिये घर में ही नजरबंद रखते हैं और किसी से भी इस बारे में बात नहीं करने को कहते हैं. साथ ही वह उन्हें अलग-अलग तरह के केस में फंसाने की धमकी भी देते हैं. वीडियो कॉल कर रहा अपराधी खुद को पुलिसकर्मी बताया है. वीडियो कॉल पर वह आपको वर्दी में भी दिखेगा और पीछे का पूरा माहौल पुलिस स्टेशन के जैसा ही नजर आएगा. इसके बाद वह नकली पुलिस अधिकारी आपके अकाउंट्स से अपने बताए अकाउंट में पैसे ट्रांसफर करवाएगा और फिर कॉल डिस्कनेक्ट हो जाएगी.
डिजिटल अरेस्ट से बचने के लिए आपका सजग और सावधान रहना बेहद जरूरी है. किसी भी अनजान लिंक पर क्लिक न करें. संदिग्ध कॉल या वीडियो कॉल को पूरी तरह नजरअंदाज करें. अपने संविधान में डिजिटल अरेस्ट जैसा कोई प्रावधान नहीं है तो अगर आपको इस नाम पर कोई डराता है तो आप बिल्कुल न डरें और तुरंत साइबर सेल या पुलिस से इसकी शिकायत करें. सोशल मीडिया के इस दौर में जागरूक रहना सबसे बड़ा बचाव है. अपनी व्यक्तिगत जानकारी किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शेयर नहीं करें. डिजिटल युग में सुरक्षा उपाय अपनाकर ही अपराधों से बचा जा सकता है.