170 फुट गहरे बोरवेल में दब गई चेतना की आवाज, 10 दिनों बाद बाहर निकाला गया 3 साल की मासूम का शव

Kotputli Borewell News : रेस्क्यू ऑपरेशन में शामिल कर्मचारियों ने बताया कि बच्ची को निकालने का काम बेहद कठिन था. बोरवेल के अंदर चेतना पत्थरों के बीच फंसी हुई थी.

Published: January 1, 2025 8:22 PM IST

By Akarsh Shukla | Edited by Akarsh Shukla

170 फुट गहरे बोरवेल में दब गई चेतना की आवाज, 10 दिनों बाद बाहर निकाला गया 3 साल की मासूम का शव

Chetna in Borewell : राजस्थान के अलवर जिले के कोटपुतली में बोरवेल में गिरी तीन साल की बच्ची चेतना को दस दिनों की कड़ी मशक्कत के बाद बाहर निकाला गया. अस्पताल ले जाने पर डॉक्टरों ने बच्ची को मृत घोषित कर दिया, जिससे परिवार और इलाके में गम का माहौल है. चेतना को 170 फीट गहरे बोरवेल से निकालने के लिए रेस्क्यू टीम ने दिन-रात मेहनत की, लेकिन अफसोस, उसकी जान नहीं बचाई जा सकी. बच्ची का शव पोस्टमार्टम के लिए कोटपुतली के बीडीएम अस्पताल भेजा गया है, जहां जांच की प्रक्रिया चल रही है. इस घटना ने पूरे इलाके को झकझोर दिया है और बोरवेल सुरक्षा को लेकर एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं.

10 दिनों तक लड़ती रही जिंदगी की जंग

कोटपूतली के कीरतपुरा गांव की बडियाली की ढाणी में चेतना 170 फीट के बोरवेल में फंसी थी. 23 दिसंबर की दोपहर वह खेलते समय गिर गई थी. करीब 10 मिनट बाद परिवार ने बच्ची के रोने की आवाज सुनी और उसे बोरवेल में फंसा पाया. राष्ट्रीय और राज्य आपदा राहत बल एक मेडिकल टीम के साथ तुरंत पहुंचे और उसे बचाने का ऑपरेशन शुरू किया. बच्ची को एक पाइप के माध्यम से ऑक्सीजन की आपूर्ति की गई और उसे ऊपर खींचने के शुरुआती प्रयास विफल होने के बाद, बचाव दल ने खुदाई शुरू की, लेकिन जो सुरंग उन्होंने खोदी वह गलत दिशा में निकली. पिछले कुछ घंटों में न तो उसे खाना मुहैया कराया जा सका और न ही ऑक्सीजन और उसकी हालत गंभीर हो गई.

काम बेहद कठिन था

रेस्क्यू ऑपरेशन में शामिल कर्मचारियों ने बताया कि बच्ची को निकालने का काम बेहद कठिन था. बोरवेल के अंदर चेतना पत्थरों के बीच फंसी हुई थी, जिसे धीरे-धीरे निकालना पड़ा. जहां बच्ची फंसी थी, वहां बोरवेल थोड़ा टेढ़ा हो गया था, जिससे पत्थरों और चट्टानों को काटना जरूरी हो गया. रेस्क्यू टीम के सदस्य लोकेश मीणा ने बताया कि ऑपरेशन के बी प्लान में कई मुश्किलें आईं, खासकर बोरवेल के टिल्ट होने और चट्टानों की मजबूती के कारण. दूसरा बोरवेल बनाया गया था, लेकिन बारिश के कारण वेल्डिंग का काम मुश्किल हो गया, जिससे ऑपरेशन में और देरी हुई. इस जटिल ऑपरेशन में अंत तक सफलता पाने के लिए कई बाधाओं को पार करना पड़ा, लेकिन बच्ची को बचाने का प्रयास सफल नहीं हो सका.

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