ये बिहार है भैया! मरने के बाद भी टीचर्स को देनी होगी अटेंडेंस, वरना कटेगी सैलरी; जानें क्या है पूरा मामला

शिक्षा विभाग ने ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर उपस्थित नहीं दिखने वाले एक हजार से ज्यादा शिक्षकों से जवाब मांगा. इस लिस्ट में उन शिक्षकों का भी नाम शामिल हैं, जिनकी मृत्यु हो चुकी है.

Published: April 13, 2025 4:19 PM IST

By Gargi Santosh

ये बिहार है भैया! मरने के बाद भी टीचर्स को देनी होगी अटेंडेंस, वरना कटेगी सैलरी; जानें क्या है पूरा मामला

बिहार के भोजपुर जिले से शिक्षा विभाग की हैरान कर देने वाली लापरवाही सामने आई है. दरअसल, विभाग ने ऐसे शिक्षकों को स्पष्टीकरण नोटिस जारी किया है जो अब इस दुनिया में ही नहीं हैं. इतना ही नहीं, विभाग ने कुछ रिटायर्ड शिक्षकों से भी पूछा है कि वे स्कूल क्यों नहीं आते हैं. इस सूची में जिन शिक्षकों का नाम है, उनमें शिक्षक रवि रंजन (जिनका निधन सितंबर, 2024 में हुआ) और शिक्षिका शिव कुमारी देवी (जो रिटायर हो चुकी हैं) भी शामिल हैं. जब यह मामला सामने आया तो शिक्षा विभाग की हंसी बनने लगी और यह पूरे जिले में चर्चा का विषय बन गया.

अब स्वर्गवासी शिक्षक भी धरती पर हाजिरी देने आएंगे!

जानकारी के अनुसार, 8 अप्रैल 2025 को शिक्षा विभाग ने ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर उपस्थित नहीं दिखने वाले 1439 शिक्षकों से जवाब मांगा. इस लिस्ट में कई ऐसे शिक्षक भी शामिल हैं जिनकी मृत्यु कुछ महीने पहले ही हो चुकी है. सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि विभाग ने साफतौर पर ये निर्देश जारी किया है कि अगर स्पष्टीकरण संतोषजनक नहीं मिला तो उनकी सैलरी काट ली जाएगी.

सच में ऐप की गड़बड़ी या सिस्टम की लापरवाही?

शिक्षक संगठनों और कई शिक्षकों ने इस पूरे मामले पर शिक्षा विभाग की ऐप और प्रशासनिक कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं. परिवर्तनकारी प्रारंभिक शिक्षक संघ की सदस्य अंजू पांडे ने बताया कि ई-शिक्षा कोष पोर्टल और ऐप में पहले से ही कई खामियां हैं. कई शिक्षक नियमित अटेंडेंस लगाने के बावजूद अनुपस्थित दिखाए जाते हैं. ऐप का तकनीकी स्तर इतना खराब है कि सही समय पर अपडेट नहीं होता और शिक्षक बेवजह सस्पेंड या वेतन कटौती के डर में जीते हैं.

पहले भी कई बार सामने आ चुकें हैं इस तरह के मामले

यह पहली बार नहीं है जब मृत या रिटायर्ड शिक्षकों से जवाब मांगा गया हो. पहले भी बिहार से इस तरह की घटनाएं सामने आ चुकी हैं, लेकिन हर बार इसे तकनीकी भूल कहकर टाल दिया जाता. शिक्षक संघ ने इस बार सख्त लहजे में विभाग की निंदा की और कहा है कि शिक्षा विभाग को इस तरह की लापरवाही से बचना चाहिए. ऐसे नोटिस मृतकों और उनके परिवार के लिए अपमानजनक हैं और इससे पूरे सिस्टम की कार्यशैली पर सवाल उठते हैं.

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