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जम्मू-कश्मीर के रामबन जिले में भारी बारिश ने जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित कर दिया. लगातार हो रही बारिश के कारण कई इलाकों में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं, वहीं भूस्खलन की घटनाओं ने स्थिति को और भी गंभीर बना दिया. कई मकानों को नुकसान पहुंचा है और कुछ लोगों की जान भी चली गई है. हालात को देखते हुए प्रशासन ने सोमवार को जिले के सभी स्कूल और सरकारी संस्थानों को बंद रखने का आदेश जारी किया है. बारिश के चलते राहत और बचाव कार्यों को भी अस्थायी रूप से रोक दिया गया है, जिससे स्थिति और चिंताजनक हो गई है.
प्रदेश के शिक्षा मंत्री साकिन इटू ने बताया कि छात्रों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए 21 अप्रैल को सभी स्कूलों में कक्षाएं स्थगित रहेंगी. यह कदम एहतियातन उठाया गया है, ताकि किसी भी अप्रिय घटना से बचा जा सके. साथ ही, उपमुख्यमंत्री सुरेन्द्र चौधरी ने रामबन और बनिहाल क्षेत्र का दौरा किया और नेशनल कॉन्फ्रेंस के विधायकों के साथ मिलकर प्रभावित इलाकों की समीक्षा की. उन्होंने कहा कि स्थिति बेहद खराब है और वह अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपेंगे. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रशासन हालात पर गंभीरता से नजर बनाए हुए है.
वहीं, रामबन के SSP कुलबीर सिंह ने बताया कि राहत और बचाव कार्य में पुलिस, NDRF, SDRF, सिविल प्रशासन और स्थानीय लोग मिलकर काम कर रहे हैं. लेकिन फिर से बारिश शुरू हो गई है, जिससे ऑपरेशन में दिक्कत आ रही है. अगर मौसम में सुधार आता है, तो सुबह से रेस्क्यू ऑपरेशन दोबारा शुरू कर दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि फिलहाल सबसे बड़ी चुनौती मौसम की अनिश्चितता है, जो राहत कार्यों में बाधा बन रही है.
राष्ट्रीय राजमार्ग-44 के बंद हो जाने से लोगों ने मुगल रोड का सहारा लिया, जो सुबह हल्के वाहनों के लिए खोली गई थी. इससे यात्रियों को थोड़ी राहत तो मिली, लेकिन शाम तक पीर की गली क्षेत्र में भूस्खलन के कारण यह रास्ता फिर से बंद कर दिया गया. यात्रियों ने बताया कि मुगल रोड पर न तो आपातकालीन सेवाएं हैं, न ही सही ढंग की रुकने की जगह या नेटवर्क सुविधा. ऐसे में यह घटना बताती है कि ऐसे वैकल्पिक मार्गों पर बेहतर बुनियादी ढांचे और योजना की सख्त जरूरत है.
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