Exclusive: जाति जनगणना पर क्या बोले चिराग पासवान? लालू यादव और राहुल गांधी पर भी बरसे- कहा, घर से तीन-तीन प्रधानमंत्री थे लेकिन फिर भी...'

केंद्रीय मंत्री और लोजपा (रामविलास)) के अध्यक्ष चिराग पासवास (Chirag Paswan)ने जाति जनगणना (Caste Census), साल के आखिर में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election) और कई मुद्दों पर बात की.

Published: May 1, 2025 7:56 PM IST

By Puja Mehrotra

Chirag Paswan

प्रभू! आपके पास ही तो सत्ता थी फिर क्यों नहीं करवा ली जाति जनगणना? जाति जनगणना कराए जाने की मोदी सरकार की घोषणा के बाद देश भर की राजनीतिक पार्टियां इसे अपनी जीत बता रही हैं. इसपर केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान (Chirag Paswan), कांग्रेस नेता राहुल गांधी, राजद सुप्रीमो लालू यादव और सपा प्रमुख अखिलेश यादव पर जमकर बरसे. उन्होंने कहा कि प्रभू आपके पास ही तो थी सत्ता फिर क्यों नहीं करवा सके इतने वर्षों तक जाति जनगणना? चिराग पासवान अपना भविष्य आने वाले समय में बिहार में देखते हैं और अब वह खुलकर इस बात को बार बार दोहरा भी रहे हैं. India.com के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत में चिराग पासवान ने कहा कि मैं राजनीति में ‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ की स्ट्रैटिजी के साथ ही आया था और मैं अपना भविष्य केंद्र में नहीं बिहार में देखता हूं.

बिहार चुनाव से पहले जाति गणना कराए जाने का तीर भारतीय जनता पार्टी (BJP) के PM मोदी ने चलाया है. इससे वह कई वर्षों से बचती रही और एक समय ये था कि जाति जनगणना को अर्बन नक्सल तक कहा, इस पर चिराग बहुत बेबाकी से कहते हैं, ‘भाजपा जाति जनगणना को लेकर बचती रही ये एक नैरेटिव सेट करने की कोशिश है कि ऐसा लगे की भाजपा नहीं चाहती की जाति जनगणना हो.’

‘मैंने खुद कई बार जातिगत जनगणना का समर्थन किया है. मुझे हमेशा कहा गया कि आपकी सोच आपके गठबंधन से नहीं मिलती है. बीजेपी अलग सोच रखती है और आप अलग सोच रखते हैं कहकर मुझे घेरेने की भी कई बार कोशिश की गई, लेकिन मैं यह कहना चाहता हूं कि जब बिहार में ये जातिगत सर्वे हुआ तो बिहार के सभी विधायकों, मंत्रियों ने खुलकर इसका समर्थन किया था. हालांकि राष्ट्रीय स्तर पर कब इस सेंसस को कराया जाएगा इसका पूरा श्रेय माननीय मोदी जी को जाता है.’ चिराग आगे कहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) लंबे समय से इस पर काम कर रही थी कि कब जातिगत जनगणना कराना है.

आजादी के बाद कहां सो रही थी कांग्रेस?

आखिरी बार 1931 में जातिगत जनगणना हुई थी तब से अब तक देश में डेमोग्राफिक चेंजेज काफी हुए हैं. आबादी बहुत बढ़ गई है. ये जनगणना अच्छे से हो इसके लिए इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना, इसमें पारदर्शिता के साथ हो इसके लिए काफी तैयारी की जरूरत होती है. पर आज सही समय पर लिया गया ये सही फैसला है. पासवान कहते हैं कि जब से जाति जनगणना कराए जाने की घोषणा हुई है तबसे इसका श्रेय लेने की होड़ लग गई है. उन्होंने कहा, ‘राहुल गांधी कहते हैं कि हमारा दवाब पड़ा सरकार पर, तो मैं पूछना चाहता हूं कि आजादी के बाद से आपकी ही तो सरकार थी, फिर आपने क्यों नहीं करा ली जातिगत जनगणना? पार्टी तो छोड़िए आपके परिवार के तीन-तीन प्रधानमंत्री रहे हैं देश के. अच्छा ये भी छोड़िए अधिकांश राज्यों में आपकी सरकारें थीं, फिर क्यों नहीं करा लिया आपने जाति जनगणना? वह राहुल पर तंज करते हुए कहते हैं, अरे जाति जनगणना छोड़िए आपने सर्वे तक नहीं करवाया. ये है इन नेताओं और पार्टियों की सोच. फिर बारी आई आरजेडी सुप्रीमो की.

उन्होंने लालू यादव से पूछा कि भाई 15 साल आपकी पार्टी की सरकार रही है और खुद आप भी मुख्यमंत्री रहे हैं तो आपने क्यों नहीं करा लिया था जाति जनगणना? वह कहते हैं ये लोग होड़ में तो लग गए हैं जाति जनगणना के लिए मोदी सरकार पर दबाव बनाने का, लेकिन राहुल और लालू जी के ये बयान पार्टी और उनके विरोधाभास को दिखलाता है. इन सभी लोगों ने इसे राजनीतिक हथियार के तौर पर इसका इस्तेमाल किया है और हमेशा चुनावी वक्त में इसे हथियार बनाया और इसे आधार बनाते हुए आरक्षण पर सवाल खड़े किए. साथ ही फॉल्स नरेटिव सेट किया.

हमें हुआ लोकसभा चुनाव में नुकसान

चिराग मानते हैं कि इन पार्टियों के फॉल्स नैरेटिव सेट करने से लोकसभा चुनाव में हमारे गठबंधन को नुकसान उठाना पड़ा. उन्होंने उत्तर प्रदेश का जिक्र करते हुए कहा कि किस तरह से संविधान, फॉल्स नैरेटिव और जाति जनगणना की वजह से हमने उत्तर प्रदेश में नुकसान झेला, लेकिन आज अखिलेश यादव भी जाति जनगणना को अपनी जीत बता रहे हैं. मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि वो खुद थे मुख्यमंत्री तो प्रभू आपने क्यों नहीं करा लिया अपने प्रदेश में ये जनगणना? उन्होंने कहा कि जाति जनगणना कराने का पूरा श्रेय सिर्फ और सिर्फ हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जाता है.

‘पहलगाम हमले पर रोष के बीच घोषणा’

पहलगाम हमले के रोष के बीच जब पीएम मोदी ने यह घोषणा कि तो इसे बिहार चुनाव की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है. इसपर चिराग कहते हैं कि आज नहीं तो कल घोषणा तो होनी थी. ऐसे में हमें ये देखना है कि हमारे प्रधानमंत्री एक तरफ बॉर्डर पर चल रही हलचल पर निर्णय ले रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ गरीबों की कल्याणकारी योजनाओं को भी विपरीत परिस्थिति में भी जनात पहुंचाने की क्षमता हमारे प्रधानमंत्री में है.

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