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कुछ समस्याएं ऐसी हैं जो आज के समय में काफी आम हो गई हैं, जिनमें से एक है फैटी लिवर की समस्या. गलत खानपान इसका एक बहुत बड़ा कारण है. हम में से कई लोग इससे ग्रसित हैं. ऐसे में कई बार ये सवाल उठता है कि क्या फैटी लिवर की समस्या होने पर प्रेग्नेंसी में दिक्कत आ सकती है? आइए इसका जवाब डॉ. अनीता के. शर्मा (वरिष्ठ निदेशक और प्रमुख – प्रसूति एवं स्त्री रोग, मैक्स सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, वैशाली) से जानते हैं.
डॉ. अनीता के. शर्मा ने बताया कि फैटी लिवर यानी लिवर में अत्यधिक चर्बी जमा होना, एक आम स्वास्थ्य समस्या है. यह दो प्रकार का होता है —नॉन-अल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) और अल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज. प्रेग्नेंसी में मुख्य चिंता NAFLD को लेकर होती है, क्योंकि इसका संबंध कई मेटाबॉलिक समस्याओं से होता है.
प्रेग्नेंसी में फैटी लिवर के संभावित प्रभाव:
गर्भावधि मधुमेह (Gestational Diabetes) – फैटी लिवर की वजह से ब्लड शुगर कंट्रोल में गड़बड़ी आ सकती है, जिससे गर्भावधि मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है.
हाई ब्लड प्रेशर / प्रीक्लेम्पसिया – यह एक गंभीर स्थिति है जिसमें मां का बीपी बढ़ सकता है और शिशु को नुकसान हो सकता है.
प्रीटर्म डिलीवरी का खतरा – फैटी लिवर से जुड़ी मेटाबॉलिक समस्याओं के कारण समय से पहले प्रसव हो सकता है.
लिवर की गंभीर अवस्था — AFLP (Acute Fatty Liver of Pregnancy) – यह दुर्लभ लेकिन खतरनाक स्थिति है, जो तीसरी तिमाही में देखी जाती है और मां-बच्चे दोनों के लिए जोखिमपूर्ण हो सकती है.
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