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आज के समय में हर तीसरा इंसान डायबिटीज की समस्या से जूझ रहा है. शुगर को कंट्रोल में लाने के लिए हम तरह तरह की चीजों को अपनाते हैं. ऐसे में अगर आप शुगर को नियंत्रित रखना चाहते हैं तो नियमित आहार में दाल को शामिल करें. इसमें पोषक तत्वों के साथ मिलने वाली प्रोटीन आपको स्वस्थ्य रखेगा. स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक दाल में सॉल्यूबल और नॉन-सॉल्यूबल डाइटरी फाइबर पाए जाते हैं जो रक्त में ग्लूकोज लेवल को कंट्रोल में रखते हैं. साथ ही, अघुलनशील फाइबर मरीजों को कब्ज की परेशानी से दूर रखता है.
हर उम्र में शारीरिक एवं मानसिक विकास के लिए प्रोटीन की हर रोज तय मात्रा में जरूरत होती है. लिहाजा दालों का पोषण सुरक्षा में बेहद महत्व है. यही वजह है कि सरकार चाहती है कि हर आम एवं खास की थाली में जरूरी मात्रा में कोई न कोई दाल जरूर हो.
विशेषज्ञ बताते हैं कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा दाल का उत्पादक, उपभोक्ता और आयातक भी है. सर्वाधिक आबादी के नाते इस उपभोग का सर्वाधिक हिस्सा यूपी का ही है. ऐसे में पूरे दुनिया के दाल उत्पादक देशों (कनाडा, आस्ट्रेलिया, अमेरिका, टर्की और म्यानमार) की नजर न केवल भारत और उत्तर प्रदेश के पैदावार बल्कि छह महीने के भंडारण पर भी रहती है.
ऐसे में अगर पैदावार कम है तो यहां की भारी मांग के मद्देनजर अतंराष्ट्रीय बाजार में दाल यूं ही तेज हो जाती है. इस पर रुपये के मुकाबले डालर की क्या स्थिति है इसका भी बहुत असर पड़ता है. रुपये के मुकाबले अगर डॉलर के दाम अधिक हैं तो आयात भी महंगा पड़ता है. इस तरह दाल के आयात में देश को बहुमूल्य विदेशी मुद्रा भी खर्च करना होता है. अगर उत्तर प्रदेश दालों के उत्पादन में आत्मनिर्भर हो जाय तो विदेशी मुद्रा भी बचेगी.
ब्लड शुगर लेवल को संतुलित करती हैं दालें-
मुंबई के अपोलो अस्पताल की सीनियर कॉसल्टेंट डॉ. तृप्ती दूबे के मुताबिक हर उम्र में शारीरिक एवं मानसिक विकास में प्रोटीन की महत्वपूर्ण भूमिका है. महिलाओं में होने वाली माहवारी से होने वाली क्षति, गर्भावस्था में बच्चों के उचित विकास, पैदा होने पर बच्चों के उचित विकास एवं आगे मांसपेशयों के विकास में प्रोटीन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. बुजुर्ग लोगों में भी नए सेल के निर्माण में प्रोटीन रिच डाइट की भूमिका होती है.
इसके अलावा दालों में घुलनशील और अघुलनशील डायट्री फाइबर होते हैं. घुलनशील फाइबर ब्लड शुगर लेवल को संतुलित रखने में मदद करता है. साथ ही, इसमें प्रचुर मात्रा में फाइबर होता है जो भोजन में मौजूद ग्लूकोज को जल्दी टूटने नहीं देते हैं और मरीजों के रक्त शर्करा का स्तर ठीक बना रहता है.