खुद के दिमाग को समझने के लिए मनीषा कोइराला ने करवाया ब्रेन मैपिंग, जानें क्या हैं इसके फायदे?

आज के समय में लोग खुद को समझना चाहते हैं, वे जानना चाहते हैं कि उन्हें गुस्सा क्यों आता है, तनाव क्यों होता है या बार-बार मन में उदासी क्यों छा जाती है? ऐसे में ब्रेन मैपिंग का चलन तेजी से बढ़ रहा है, जो हमारे दिमाग के अलग-अलग हिस्सों को स्कैन करके बताती है कि हम क्या महसूस कर रहे हैं और क्यों?

Published: May 8, 2025 12:42 PM IST

By Pooja Batra | Edited by Pooja Batra

Manisha Koirala Embraces Neuroscience For Healing and Growth know more benefits
Manisha Koirala Embraces Neuroscience For Healing and Growth know more benefits

आज के समय में लोग खुद को समझना चाहते हैं, वे जानना चाहते हैं कि उन्हें गुस्सा क्यों आता है, तनाव क्यों होता है या बार-बार मन में उदासी क्यों छा जाती है? ऐसे में ब्रेन मैपिंग का चलन तेजी से बढ़ रहा है, जो हमारे दिमाग के अलग-अलग हिस्सों को स्कैन करके बताती है कि हम क्या महसूस कर रहे हैं और क्यों? इससे हमें अपनी भावनाओं को बेहतर समझने में मदद मिलती है. जो बातें हम खुद नहीं समझ पाते, वो ब्रेन मैपिंग बता देती है. हाल ही में मशहूर अभिनेत्री मनीषा कोइराला ने भी ब्रेन मैपिंग सेशन लिया था, जिसका अनुभव उन्होंने सोशल मीडिया पर शेयर किया था.

मनीषा कोइराला ने ब्रेन मैपिंग प्रक्रिया की अपनी फोटो और वीडियो शेयर करते हुए लिखा, “मैंने ब्रेन मैपिंग करवाई और वाह! क्या सफर रहा! मैंने न्यूरोलीप ब्रेन फंक्शन असेसमेंट करवाया, जिसमें कोई भी निजी सवाल पूछे बिना ही मुझे अपने दिमाग के पैटर्न्स के बारे में अधिक जानकारी मिली. यह प्रक्रिया 30 मिनट की थी, जिसमें कुछ सेंसर मेरे सिर पर लगाए गए थे, जो दिमाग की तरंगों को पढ़ रहे थे. इसमें न तो कोई सवाल पूछा गया, न ही कोई असहजता हुई, सब कुछ आरामदायक और सुरक्षित था. लोगों को अपने भीतर को और गहराई से जानने के लिए यह प्रक्रिया जरूर आजमानी चाहिए.”

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मनीषा के अनुभव से साफ है कि खुद को समझने के लिए ब्रेन मैपिंग सुरक्षित और सरल तरीका है. चलिए अब जानते हैं कि ये ब्रेन मैपिंग है क्या?

दरअसल, ब्रेन मैपिंग एक न्यूरो-साइंस तकनीक है. इसमें मस्तिष्क की गतिविधि को मापा जाता है, ताकि समझा जा सके कि मस्तिष्क के अलग-अलग भाग कैसे काम करते हैं. यह ईईजी (इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राफी) और एफएमआरआई (फंक्शनल मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग) जैसी तकनीकों के जरिए किया जाता है. इससे पता चलता है कि मस्तिष्क के किन हिस्सों पर ध्यान देने की जरूरत है.

अब सवाल उठता है कि ब्रेन मैपिंग काम कैसे करती है. ब्रेन मैपिंग में मशीनें मस्तिष्क से निकलने वाली इलेक्ट्रिकल तरंगों को रिकॉर्ड करती हैं. ये तरंगें दिखाती हैं कि मस्तिष्क का कौन-सा हिस्सा उस समय सक्रिय है और इसकी तस्वीरें ली जाती हैं, जिन्हें स्कैनिंग कहते हैं.

कंप्यूटर स्कैन से मिली जानकारी का विश्लेषण करता है और एक मैप तैयार करता है, जो दिखाता है कि आपको क्यों गुस्सा आता है, तनाव क्यों होता है?

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