'तुम्हारे ग़म की डली उठाकर, जुबां पर रख ली है मैंने', गुलजार की 10 चुनिंदा शायरी
वो कौन सा शख्स होगा जो गुलज़ार साहब की लेखनी का दीवाना न होगा. उनके हर शब्द में जादू है.
ये जादूगरी ही तो है… कभी मोहब्बत से. कभी रुसवाइयों से. कभी कहानियों से. नदी की धाराओं से.
और कभी कच्ची मिट्टी सा चाक पर चढ़ जाते हैं. तपते हैं. पकते हैं और फिर जिंदगी के महकमे से. कुछ बुदबुदाते. गुनगुनाते. निकल पड़ते हैं.
उसके हाथ में पहनी चूड़ी सा बजते…खन…खन…खन. हां, ये शब्द नहीं जादू हैं, जो मलहम लगाते हैं कभी.
गांव की पगडंडियों से होते हुए. राशन की कतारों तक. सूरज की किरणों के झुमके से सुंदर.
रेशम से मुलायम. मिश्री सा पिघलते. आहिस्ता और आहिस्ता ख्वाब टटोलते.
गुलजार के शब्द. लफ्जों के जादूगर और उनकी शायरी. जिसके हर शब्द में है खन..खन
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