Nawab Wajid Ali Shah pics (1)

17 Apr, 2025

Shilpi Singh

अवध रियासत के शासक नवाब वाजिद शाह के पास वह सब कुछ था जो एक राजा अपने राज्य की रक्षा के लिए मांग सकता है.

हालांकि, जब समय आया, तो उसने कमज़ोर तरीके से अपना ताज हमलावर अंग्रेजों को सौंप दिया और बिना युद्ध लड़े ही हार मान ली थी.

विभिन्न ऐतिहासिक विवरणों के अनुसार, अवध के 11वें और अंतिम राजा मिर्जा वाजिद अली शाह, नृत्य और संगीत के उत्साही संरक्षक थे, लेकिन कथित तौर पर वे एक अय्याश व्यक्ति भी थे.

अपने लापरवाह और रंगीन स्वभाव की कीमत उन्हें ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के हाथों अपना राज्य खोकर चुकानी पड़ी.

ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने अवध के समृद्ध राज्य पर कब्ज़ा करने की योजना बनाई थी और यह योजना ब्रिटिश गवर्नर-जनरल डलहौजी द्वारा नवाब वाजिद अली शाह के दरबार में कर्नल जेम्स एल. स्लीमन की नियुक्ति के साथ शुरू हुई थी.

हालांकि अंग्रेजों को अवध पर बलपूर्वक कब्ज़ा करने में कोई हिचक नहीं थी, लेकिन आक्रमणकारी राज्य पर शासन करने में राजा की अक्षमता को उजागर करके अपने कब्जे को वैध बनाना चाहते थे

अवध के राजा गोनोरिया नामक यौन संचारित रोग (एसटीडी) से पीड़ित थे, और इस बीमारी के कारण उन्हें अपने शासन कर्तव्यों को पूरा करने में बाधा आ रही थी

1851 में नवाब वाजिद अली शाह ने अवध के मुकुट सहित कुछ वस्तुएं लंदन में एक प्रदर्शनी में प्रदर्शित करने के लिए भेजीं, जिस पर डलहौजी ने टिप्पणी की कि बेहतर होता यदि राजा ने मुकुट के साथ अपना सिर भी भेजा होता

आखिरकार, 4 फरवरी, 1856 को जेम्स आउट्रम ने नवाब के महल में मार्च किया, और एक आदेश लेकर राजा से तीन दिनों के भीतर परिसर खाली करने को कहा. आदेश में यह भी कहा गया था कि नवाब को 15 लाख रुपये की वार्षिक पेंशन दी जाएगी

Thanks For Reading!

Next: भारत के किस शहर को कहते हैं 'Mini Mumbai', जानें इसके पीछे का जवाब

Find Out More